निम्नलिखित पद्यांशों पर आधारित दिए, गए प्रश्नों के उत्तर हल सहित |
चींटी
1. चींटी को देखा?
वह सरल, विरल, काली रेखा
तम के धागे-सी जो हिल-डुल
चलती लघुपद पल-पल मिल-जुल
वह है पिपीलिका पाँति !
देखो ना, किस भाँति
काम करती वह सतत !
कन-कन करके चुनती अविरत !
(i) उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
उत्तर- सन्दर्भ – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘चींटी’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता प्रकृति के सुकुमार कवि श्री सुमित्रानन्दन पन्त हैं।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- रेखांकित अंश की व्याख्या – कवि कहता है कि चींटी बहुत सीधी एवं अति पतली काली रेखा-सी दिखाई पड़ती है जो अन्धकार के धागे के समान हिलती-डुलती नजर आती है।
(iii) कवि ने चींटी के माध्यम से किस बात का सन्देश दिया है ?
उत्तर- कवि ने चींटी के माध्यम से अनुशासन बद्वता एवं कर्मठता का सन्देश दिया है ?
(iv) इन पंक्तियों में किस रस का प्रयोग किया गया है?
उत्तर- शान्त रस ।
