निम्नलिखित पद्यांशों पर आधारित दिए, गए प्रश्नों के उत्तर हल सहित |
पद्य - 1
1. यहीं कहीं पर बिखर गयी वह, भग्न विजय माला-सी ।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति-शाला-सी ॥
सहे वार पर वार अंत तक, लड़ी वीर बाला-सी ।
आहूति-सी गिर पड़ी चिता पर चमक उठीं ज्वाला-सी ॥
(i) उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर- सन्दर्भ- श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान की कविता में सच्ची वीरांगना का ओज और शौर्य प्रकट हुआ है। प्रस्तुत पद्यांश सुभद्रा जी की ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ शीर्षक कविता से उद्धृत किया गया है |
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-रेखांकित अंश की व्याख्या – कवयित्री झाँसी की रानी की समाधि को देखकर कहती है कि इस समाधि के आसपास ही कहीं वह स्थान है जहाँ वह रानी लक्ष्मीबाई प्रहार सहते हुए भी वीरबाला के समान लड़ती रही । अन्त में वह यज्ञ में आहुति के समान चिता पर गिर पड़ी और अग्नि की लपटों के समान ही उसका यश चमक उठा।
(iii) रानी की समाधि हमें रानी से प्यारी क्यों है ?
उत्तर-रानी की समाधि हमें रानी से प्यारी इसलिए है क्यूंकि यह चिरकाल तक देश के लोगों में स्वतंत्रता के लिए लड़ने और अंततः उसे प्राप्त करने की आशा जगाती रहेगी |
(iv) इन पंक्तियों में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है?
उत्तर- रूपक, अनुप्रास तथा उपमा अलंकार का सुन्दर चमत्कार है।
पद्य - 2
2. बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से ।
मूल्यवती होती सोने की, भस्म यथा सोने से ॥
रानी से भी अधिक हमें अब, यह समाधि है प्यारी ।
यहाँ निहित है स्वतन्त्रता की, आशा की चिनगारी ॥
(i) उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर- सन्दर्भ- श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान की कविता में सच्ची वीरांगना का ओज और शौर्य प्रकट हुआ है। प्रस्तुत पद्यांश सुभद्रा जी की ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ शीर्षक कविता से उद्धृत किया गया है |
(ii) कवि ने वीरों का सम्मान किस प्रकार किया है?
उत्तर- संसार में वीरों का सम्मान होता है। जब कोई वीर युद्ध में बलि चढ़ जाता है, इससे उसका सम्मान और अधिक बढ़ जाता है।
(iii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- रेखांकित अंश की व्याख्या – रानी लक्ष्मीबाई की इस समाधि से प्रेरणा प्राप्त करके हम स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करते रहेंगे। इस समाधि में स्वतन्त्रता की आशा चिनगारी के रूप में दबी है।
(iv) इन पंक्तियों में किस छन्द का प्रयोग किया गया है?
उत्तर- गीतिका छन्द ।
(v) झाँसी की रानी की समाधि को कवयित्री ने ‘रानी से अधिक प्यारी’ बतलाया है। क्यों?
उत्तर- झाँसी की रानी की इस समाधि को कवयित्री ने ‘रानी से अधिक प्यारी’ इसलिए बतलाया है, क्योंकि इस समाधि में स्वतन्त्रता-प्राप्ति की आशा की एक चिंगारी छिपी हुई है, जो आग के रूप में फैलकर पराधीनता से मुक्त होने के लिए देशवासियों को सदैव प्रेरणा प्रदान करती रहेगी।
(vi) पहली पंक्ति के माध्यम से कवयित्री क्या कहना चाहती हैं?
उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश की पहली पंक्ति के माध्यम से कवयित्री यह कहना चाहती हैं कि स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए वीरगति पाने से वीरों का मान बढ़ जाता है।
(vii) ‘मूल्यवती होती सोने की, भस्म यथा सोने से।’ काव्य-पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- पंक्ति का भाव यह है कि कवयित्री कहती हैं, रानी लक्ष्मीबाई जिस प्रकार युद्ध में बलिदान हुईं, उसी प्रकार उनका सम्मान और भी अधिक बढ़ गया; जैसे—सोने की अपेक्षा स्वर्ण-भस्म अधिक मूल्यवान होती है।
पद्य - 3
3.इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते ।
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते ||
पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी ।
स्नेह और श्रद्धा से गाती है, वीरों की बानी ||
बुंदेले हरबोलों के मुख, हमने सुनी कहानी ।
खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी ||
(i) उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर– सन्दर्भ- प्रस्तुत पद्यांश सुभद्रा जी की ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ शीर्षक कविता से उद्धृत किया गया है जिसमें अपूर्व साहस तथा आत्मोत्सर्ग की प्रबल कामना प्रकट हुई है।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर– रेखांकित अंश की व्याख्या- हमने यह गाथा नन्देलखण्डवासी हरबोलों के मुख से सुनी है कि झाँसी की रानी वीर पुरुषों के समान बड़ी वीरता से अंग्रेजों से लड़ी थी।
(iii) इन पंक्तियों में किस भाषा का प्रयोग किया गया है?
उत्तर– शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली ।
(iv) ‘कवियों की अमर गिरा’ में किनका गुणगान होता है? क्यों?
उत्तर– कवियों की अमर गिरा (वाणी) में रानी लक्ष्मीबाई की समाधि की कभी समाप्त न होने वाली कहानी का गुणगान होता है, क्योंकि रानी की समाधि के प्रति उनमें श्रद्धाभाव है पर अन्य समाधियाँ ऐसी नहीं हैं।
(v) बुन्देले और हरबोलों से कवयित्री ने कौन-सी गाथा सुनी है ?
उत्तर– बुन्देले और हरबोलों के मुँह से कवयित्री ने यह गाथा सुनी है कि झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पुरुषों की भाँति बहुत वीरता से लड़ीं।
