पुष्प की अभिलाषा,जवानी(माखनलाल चतुर्वेदी)

निम्नलिखित पद्यांशों पर आधारित दिए, गए प्रश्नों के उत्तर हल सहित |

1. चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि ! डाला जाऊँ
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ ।
(i) उपर्युक्त पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर – सन्दर्भ – प्रस्तुत गीत चतुर्वेदी जी के ‘युगचरण’ नामक काव्य से संकलित ‘पुष्प की अभिलाषा’ नामक कविता से लिया गया है।
(ii) पुष्प किसके गहनों और माला को गूंथना नहीं चाहता है ?
उत्तर –पुष्प देवकन्याओं के गहनों और प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका के लिए बनाई गई माला में गूंथना नहीं चाहता है |
(iii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – रेखांकित अंश की व्याख्या – कवि फूल के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है। फूल कहता है कि मुझे यह चाह नहीं है कि मुझे किसी सुर-सुन्दरी के गहनों में गूँथा जाये ।
(iv) पुष्प किसे अपना सौभाग्य नहीं मानता है ?
उत्तर – पुष्प सम्राटों के शव और देवताओं के सिर पर चढ़ाए जाने को अपना सम्राट नहीं मानता |
(v) इन पंक्तियों में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है?
उत्तर – अनुप्रास अलंकार ।