संस्कृत-गद्यांशों का सन्दर्भ- सहित हिन्दी में अनुवाद
1- वाराणसी सुविख्याता प्राचीना नगरी । इयम् विमलसलिलतरङ्गायाः गङ्गायाः कूले स्थिता। अस्याः घट्टानां वलयाकृतिः पंक्ति: धवलायां चन्द्रिकायां बहु राजते। अगणिता: पर्यटका: सुदुरेभ्यः देशेभ्य: नित्यम् अत्र आयान्ति, अस्याः घट्टानां च शोभां विलोक्य इमां बहु प्रशंसन्ति ।
सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘संस्कृत परिचायिका’ खण्ड के ‘वाराणसी’ नामक पाठ से उद्धृत किया गया है।
हिन्दी अनुवाद-वाराणसी बहुत प्रसिद्ध प्राचीन नगरी है। यह स्वच्छ जल की तरंगों वाली गंगा के किनारे पर स्थित है। इसके घाटों की गोलाकार पंक्ति सफेद चाँदनी में बहुत सुन्दर प्रतीत होती है। दूर-दूर देशों से असंख्य यात्री यहाँ प्रतिदिन आते हैं और इसके घाटों की शोभा देखकर इसकी बहुत प्रशंसा करते हैं।
2-वाराणस्यां प्राचीनकालादेव गेहे गेहे विद्यायाः दिव्यं ज्योतिः द्योतते । अधुनाऽपि अत्र संस्कृतवाग्धारा सततं प्रवहति, जनानां ज्ञानञ्च वर्द्धयति । अत्र अनेके आचार्याः मूर्धन्याः विद्वांसः वैदिकवाङ्मयस्य अध्ययने अध्यापने च इदानीं निरताः। न केवलं भारतीयाः, अपितु वैदेशिका: गीर्वाणवाण्याः अध्ययनाय अत्र आगच्छन्ति निःशुल्कं च विद्यां गृह्णन्ति। अत्र हिन्दूविश्वविद्यालयः, संस्कृतविश्वविद्यालयः, काशीविद्यापीठम् इत्येते त्रयः विश्वविद्यालयाः सन्ति, येषु नवीनानां प्राचीनानाञ्च ज्ञानविज्ञानविषयाणाम् अध्ययनं प्रचलति ।
सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘संस्कृत परिचायिका’ खण्ड के ‘वाराणसी’ नामक पाठ से उद्धृत किया गया है
हिन्दी अनुवाद-वाराणसी में प्राचीनकाल से ही घर-घर में विद्या की अलौकिक ज्योति प्रकाशित है। अब भी यहाँ संस्कृत-वाणी की धारा निरन्तर बह रही है और लोगों के ज्ञान को बढ़ा रही है। इस समय यहाँ अनेक आचार्य, उच्च कोटि के विद्वान् वैदिक साहित्य के अध्ययन-अध्यापन में लगे हुए हैं। न केवल भारतीय, अपितु विदेशी भी देववाणी-संस्कृत के अध्ययन के लिए यहाँ आते हैं और निःशुल्क विद्या ग्रहण करते हैं। यहाँ हिन्दू विश्वविद्यालय, संस्कृत विश्वविद्यालय और काशी विद्यापीठ ये तीन विश्वविद्यालय हैं, जिनमें नवीन और प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के विषयों का अध्ययन चलता रहता है।
3-एषा नगरी भारतीयसंस्कृतेः संस्कृतभाषायाश्च केन्द्रस्थलम् अस्ति । इत एवं संस्कृतवाङ्गयस्य संस्कृतेश्च आलोकः सर्वत्र प्रसृतः । मुगलयुवराजः दाराशिकोहः अत्रागत्य भारतीय-दर्शन-शास्त्राणाम् अध्ययनम् अकरोत् । स तेषां ज्ञानेन तथा प्रभावितः अभवत् यत् तेन उपनिषदाम् अनुवादः पारसी भाषायां कारितः।
सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘संस्कृत परिचायिका’ खण्ड के ‘वाराणसी’ नामक पाठ से उद्धृत है। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने वाराणसी नगरी को संस्कृत भाषा एवं भारतीय संस्कृति का प्राचीन केन्द्र बताया है।
हिन्दी – अनुवाद — यह नगरी भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा का केन्द्र-स्थल है। यहीं से संस्कृत-साहित्य और संस्कृति का प्रकाश सर्वत्र फैला है। मुगल युवराज दारा शिकोह ने यहाँ आकर भारतीय दर्शनशास्त्रों का अध्ययन किया था। वह उनके ज्ञान से ऐसा प्रभावित हुआ कि उसने उपनिषदों का अनुवाद फारसी भाषा में कराया।
4-इयं नगरी विविधधर्माणां सङ्गमस्थली। महात्मा बुद्धः, तीर्थङ्करःपार्श्वनाथ:, शङ्कराचार्य:, कबीरः, गोस्वामी तुलसीदासः अन्ये च बहवः महात्मानः अत्रागत्य स्वीयान् विचारान् प्रासारयन्। न केवलं दर्शने, साहित्ये, धर्मे, अपितु कलाक्षेत्रेऽपि इयं नगरी विविधानां कलानां, शिल्पानाञ्च कृते लोके विश्रुता । अत्रत्याः कौशेयशाटिकाः देशे देशे सर्वत्र स्पृह्यन्ते । अत्रत्याः प्रस्तरमूर्तयः प्रथिताः । इयं निजां प्राचीनपरम्पराम् इदानीमपि परिपालयति ।
सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘संस्कृत परिचायिका’ खण्ड के ‘वाराणसी’ नामक पाठ से उद्धृत है। प्रस्तुत पंक्तियों में वाराणसी को विभिन्न धर्मों और कलाओं के केन्द्र के रूप में वर्णित किया गया
हिन्दी अनुवाद – यह नगरी (वाराणसी) अनेक धर्मों की संगमस्थली है। महात्मा बुद्ध, तीर्थंकर पार्श्वनाथ, शंकराचार्य, कबीर, गोस्वामी तुलसीदास और दूसरे अनेक महात्माओं ने यहाँ आकर अपने विचारों का प्रसार किया। न केवल दर्शन, साहित्य और धर्म में ही, अपितु कला के क्षेत्र में भी यह नगरी तरह-तरह की कलाओं और शिल्पों के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ की रेशमी साड़ियाँ हर देश में सर्वत्र पसन्द की जाती हैं।यहाँ की पत्थर की मूर्तियाँ प्रसिद्ध हैं। यह अपनी प्राचीन परम्परा का इस समय भी पालन कर रही है
संस्कृत-पद्यांश (श्लोक) का सन्दर्भ- सहित हिन्दी में अनुवाद
मरणं मंगलं यत्र विभूतिश्च विभूषणम् ।
कौपीनं यत्र कौशेयं सा काशी केन मीयते ॥
सन्दर्भ – प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘संस्कृत परिचायिका’ खण्ड के ‘वाराणसी’ नामक पाठ से उद्धृत है।
हिन्दी अनुवाद – जहाँ मरना कल्याणकारी है और जहाँ भस्म आभूषणा है, जहाँ लँगोटी रेशमी होती है, वह काशी किसके द्वारा मापी जा सकती है?
संस्कृत प्रश्नोत्तर
(1) वाराणस्यां गेहे गेहे किं द्योतते ?
उत्तर : वाराणस्यां गेहे गेहे विद्यायाः दिव्यं ज्योतिः द्योतते ।
(2) वाराणसी नगरी कस्याः नद्याः कूले स्थिता ?
उत्तर : वाराणसी गङ्गायाः नद्या: कूले स्थिता। 
(3) वाराणस्यां कति विश्वविद्यालयाः सन्ति? के च ते?
उत्तर – वाराणस्यां त्रयः विश्वविद्यालयाः सन्ति-हिन्दू विश्वविद्यालय:, संस्कृत विश्वविद्यालयः काशीविद्यापीठम् चेति ।
(4) वाराणसी कस्याः भाषायाः केन्द्रम् (केन्द्रस्थली) अस्ति ? 
उत्तर-वाराणसी नगरी संस्कृत भाषाया: केन्द्रस्थली अस्ति ।
(5) वाराणसी किमर्थं प्रसिद्धा?
उत्तर- इयं नगरी विद्याकलानां संस्कृतभाषाया: संस्कृतेश्च कृते प्रसिद्धा अस्ति ।
(6) वाराणसी नगरी केषां संगमस्थली अस्ति?
उत्तर- वाराणसी नगरी विविध धर्माणां संगमस्थली अस्ति ।
(7)कुत्र मरणं भंगलं भवति?
उत्तर- वाराणस्यां मरणं मंगलं भवति ।
(8) सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालयः कस्यां नगर्यां विद्यते? 
उत्तर – सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय: वाराणस्यां नगर्यां विद्यते ।
