पानी में चंदा और चाँद पर आदमी(जय प्रकाश भारती)

निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित दिए, गए प्रश्नों के उत्तर हल सहित |

गद्यांश -1

मानव को चन्द्रमा पर उतारने का यह सर्वप्रथम प्रयास होते हुए भी असाधारण रूप से सफल रहा, यद्यपि हर क्षण, हर पग पर खतरे थे। चन्द्रतल पर मानव के पाँव के निशान उसके द्वारा वैज्ञानिक तथा तकनीकी क्षेत्र में की गयी असाधारण प्रगति के प्रतीक हैं। जिस क्षण डगमग-डगमग करते मानव के पग उस धूलि – धूसरित अनछुई सतह पर पड़े तो मानो वह हजारों-लाखों साल से पालित-पोषित सैकड़ों अन्धविश्वासों तथा कपोल-कल्पनाओं पर पद-प्रहार ही हुआ। कवियों की कल्पना के सलोने चाँद को वैज्ञानिकों ने बदसूरत और जीवनहीन करार दे दिया- भला अब चन्द्रमुखी कहलाना किसे रुचिकर लगेगा।
(क) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर :(अ) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित श्री जयप्रकाश भारती द्वारा लिखित ‘पानी में चंदा और चाँद पर आदमी’ नामक निबन्ध से अवतरित है।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या – जैसे ही अमेरिकी चन्द्रयान चन्द्रमा पर पहुँचा और मानव ने अपने लड़खड़ाते हुए कदम सफलतापूर्वक चन्द्रमा के धरातल पर रखे, वैसे ही प्राचीनकाल से आज तक के उसके बारे में चले आ रहे सारे अन्धविश्वास एवं निरर्थक अनुमान असत्य प्रमाणित हो गये। चन्द्रमा पर पहुँचने पर उसके विषय में यथार्थ सत्य सामने आ गया और सारी कल्पनाएँ झूठी सिद्ध हो गयीं। हमारे प्राचीन कवि चन्द्रमा को सुन्दर कहते थे और नारियों के सुन्दर मुख की तुलना चन्द्रमा से किया करते थे, लेकिन चन्द्रतल पर पहुँचकर वैज्ञानिकों ने कवियों की इन भ्रान्तियों को असत्य सिद्ध कर दिया। उन्होंने बताया कि चन्द्रमा बहुत कुरूप, ऊबड़-खाबड़ और जीवनहीन है। यदि कोई व्यक्ति किसी सुन्दरी को अब चन्द्रमुखी कहेगा तो अब वह अपने को चन्द्रमुखी (कुरूप और निर्जीव मुख वाली) कहलाना कैसे पसन्द करेगी ?
(ग) मानव द्वारा चन्द्रमा पर उतरने का प्रयास कैसा रहा ?
उत्तर:(ग) मानव द्वारा चन्द्रतल पर उतरने का सर्वप्रथम प्रयास पूर्ण रूप से सफल रहा। यह मनुष्य की वैज्ञानिक तकनीकी क्षेत्र में की गयी असाधारण प्रगति का प्रतीक था।

गद्यांश -2

हमारे देश में ही नहीं, संसार की प्रत्येक जाति ने अपनी भाषा में चन्द्रमा के बारे में कहानियाँ गढ़ी हैं और कवियों ने कविताएँ रची हैं। किसी ने उसे रजनीपति माना तो किसी ने उसे रात्रि की देवी कहकर पुकारा। किसी विरहिणी ने उसे अपना दूत बनाया तो किसी ने उसके पीलेपन से क्षुब्ध होकर उसे बूढ़ा और बीमार ही समझ लिया। बालक श्रीराम चन्द्रमा को खिलौना समझकर उसके लिए मचलते हैं तो सूर के श्रीकृष्ण भी उसके लिए हठ करते हैं। बालक को शान्त करने के लिए एक ही उपाय था । चन्द्रमा की छवि को पानी में दिखा देना।
(क) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर:(क) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित श्री जयप्रकाश भारती द्वारा लिखित ‘पानी में चंदा और चाँद पर आदमी’ नामक निबन्ध से अवतरित है।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या – निर्जीव अर्थात् जीवन से रहित चन्द्रमा को कभी किसी लेखक के द्वारा रात्रि का पति अर्थात स्वामी माना गया तो किसी कवि के द्वारा कभी रात की देवी भी कहा गया। कभी किसी विरह से पीड़ित नायिका ने उसे अपना दूत बनाकर उसके माध्यम से अपने प्रियतम के लिए सन्देश भेजा तो कभी किसी नायिका ने उसका पीलापन देखकर और उससे दुःखी होकर उसे बूढ़ा, बीमार और दुर्बल ही समझ लिया गया।
(ग)राम और कृष्ण चन्द्रमा के लिए क्यों हठ करते हैं ? उनके हठ को कैसे शान्त किया जाता है?
उत्तर:(ग) तुलसी के राम और सूर के श्याम चन्द्रमा को खिलौना समझकर उसके लिए हठ करते हैं। उनके हठ को शान्त करने का एक ही उपाय था कि चन्द्रमा की छवि को पानी में दिखा दिया जाए।

गद्यांश -3

मानव मन सदा से ही अज्ञात के रहस्यों को खोलने और जानने- समझने को उत्सुक रहा है। जहाँ तक वह नहीं पहुँच सकता था, वहाँ वह कल्पना के पंखों पर उड़कर पहुँचा। उसकी अनगढ़ और अविश्वसनीय कथाएँ उसे सत्य के निकट पहुँचाने में प्रेरणा शक्ति का काम करती रहीं।
(क) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर:(क) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित श्री जयप्रकाश भारती द्वारा लिखित ‘पानी में चंदा और चाँद पर आदमी’ नामक निबन्ध से अवतरित है।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या लेखक कहता है कि मनुष्य का मन प्राचीनकाल से ही नयी नयी बातों को जानने के लिए उत्सुक रहा है। वह सदा अनजाने रहस्यों को सुलझाकर उन्हें जानने और समझने में अपनी शक्ति का उपयोग करता रहा है। जहाँ तक सम्भव हुआ, मानव ने अपनी कल्पना द्वारा उसे जानने की चेष्टा की। उसने अज्ञात रहस्यों के विषय में अनेक कल्पनाओं का निर्माण किया। चाहे उसे वे कल्पनाएँ सत्य से परे निराधार मालूम पड़ी, लेकिन वह उन्हीं कल्पनाओं को साकार करने का प्रयास करता रहा और उनसे ही सत्य के निकट पहुँचने की प्रेरणा प्राप्त करता रहा।
(ग) गद्यांश में लेखक ने मनुष्य की किस प्रवृत्ति को स्पष्ट किया है ?
उत्तर:(ग) अभी चन्द्रमा के लिए अनेक उड़ानें होगी। दूसरे ग्रहों के लिए मानवरहित यान छोड़े जा रहे हैं। अन्तरिक्ष में परिक्रमा करने वाला स्टेशन स्थापित करने की दिशा में तेजी से प्रयत्न किये जा रहे हैं। ऐसा स्टेशन बन जाने पर ब्रह्माण्ड के रहस्यों की पर्तें खोलने में काफी सहायता मिलेगी।

गद्यांश -4

अभी चन्द्रमा के लिए अनेक उड़ानें होंगी। दूसरे ग्रहों के लिए मानवरहित यान छोड़े जा रहे हैं। अन्तरिक्ष में परिक्रमा करने वाला स्टेशन स्थापित करने की दिशा में तेजी से प्रयत्न किये जा रहे हैं। ऐसा स्टेशन बन जाने पर ब्रह्माण्ड के रहस्यों की पर्तें खोलने में काफी सहायता मिलेगी। यह पृथ्वी मानव के लिए पालने के समान है। वह हमेशा-हमेशा के लिए इसकी परिधि में बँधा हुआ नहीं रह सकता। अज्ञात की खोज में वह कहाँ तक पहुँचेगा, कौन कह सकता है?
(क) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर:(क) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य खण्ड’ मे संकलित श्री जयप्रकाश भारती द्वारा लिखित ‘पानी में चंदा और चाँद पर आदमी’ नामक निबन्ध से अवतरित है।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या लेखक कहता है कि व्यक्ति पालने मे केवल अपना बचपन गुजारता है। जैसे-जैसे वह बचपन से किशोरावस्था की ओर अग्रसर होता है, वैसे वैसे उसका पालने से मोहभंग होता जाता है और एक दिन वह पालने की परिधि से बाहर हो जाता है। यह पृथ्वी भी मनुष्य के लिए एक पालने के समान ही है और वह निरन्तर उसकी परिधि से बाहर जाने का प्रयत्न करता रहता है। अन्तरिक्ष अथवा अज्ञात की अनेक खोजें उसके इन्हीं प्रयत्नों का परिणाम हैं। इस अनन्त असीम अन्तरिक्ष अथवा अन्य स्थानों में अज्ञात रहस्यों की खोज करता हुआ वह कहाँ तक पहुँचेगा, इसकी भविष्यवाणी करना असम्भव है।
(ग) लेखक ने चन्द्र – अन्तरिक्ष अभियानों के आगामी प्रयत्नों के बारे में क्या लिखा है? वर्तमान समय में इसकी क्या स्थिति है ?
उत्तर:(ग) सोमवार, 21 जुलाई 1969 ई० को सर्वप्रथम मानव ने चन्द्रमा पर अपने पैर रखे। लेखक ने चन्द्रमा अन्तरिक्ष अभियानों के आगामी प्रयत्नों के बारे में लिखा है कि “अभी चन्द्रमा के लिए और उड़ानें होंगी। दूसरे ग्रहों के लिए भी यान छोड़े जा रहे हैं। अन्तरिक्ष में स्टेशन स्थापित करने की दिशा में भी प्रयत्न किये जा रहे हैं।” वर्तमान समय में लेखक द्वारा लिखे गये समस्त आगामी प्रयत्न वैज्ञानिकों द्वारा सफलतापूर्वक सम्पन्न किये जा चुके हैं।