'पंचलाइट' कहानी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- ‘पंचलाइट’ श्री फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा रचित एक आंचलिक कहानी है, जिसमें रेणुजी ने ग्रामीण परिवेश के साथ-साथ आंचलिक परिवेश को अत्यन्त सुन्दरता के साथ उभारा है। पंचलाइट कहानी की कथावस्तु ग्राम्य परिवेश से ग्रहण की गई है। इस कहानी की कथावस्तु में उन्होंने पेट्रोमैक्स, जिसे गाँववाले ‘पंचलाइट’ या ‘पंचलैट’ कहते हैं, के माध्यम से ग्रामीण वातावरण का चित्रण करते हुए ग्रामवासियों के मनोविज्ञान की वास्तविक झलक प्रस्तुत की है। ग्रामीण जनजाति के आधार पर किस प्रकार टोलियों में विभक्त हो जाते हैं और परस्पर ईर्ष्या-द्वेष के भावों से भरे रहते हैं, इसका बड़ा ही जीवन्त यथार्थ रूप इस कहानी में उभारा गया है। ग्रामांचल का वास्तविक चित्रण ही इसकी कथावस्तु का उद्देश्य है।
'पंचलाइट' कहानी का सारांश (कथानक) लिखिए।
उत्तर- ‘पंचलाइट’ फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ की श्रेष्ठ आंचलिक कहानी है। कहानी में किसी अंचल विशेष का वर्णन किया गया है। प्रस्तुत कहानी का कथानक ग्रामीण जीवन पर केन्द्रित है। कहानी का सारांश इस प्रकार है-
कहानी में सम्बद्ध गाँव अनेक टोलों में विभाजित है। हर टोले में एक अलग पंचायत है। प्रत्येक टोले की अपनी जाजिम, दरी, गैस, लालटेन (पेट्रोमैक्स) की अलग-अलग व्यवस्था होती थी। महतो टोले वाले इस बार मेले से एक नयी ‘पंचलाइट’ (गैसबत्ती) खरीदकर लाये हैं। रात को कीर्तन, गीत आदि का आयोजन किया गया किन्तु लालटेन जलाना पूरे टोले में किसी को भी नहीं आता था । फलस्वरूप अन्य टोलों के सदस्य उनकी हँसी उड़ाने लगे।
बात अब महतो टोले वालों की प्रतिष्ठा की बन गयी। किसी अन्य टोले वाले से वे अपनी पंचलाइट कैसे जलवाएँ ? ऐसा करने में वे अपने टोले की बड़ी बेइज्जती मानते हैं। टोले की गुलरी काकी की बेटी मुनरी यह जानती थी कि उसका प्रेमी गोधन पंचलाइट जलाना जानता है। गोधन को गली में सिनेमा का गाना गाने के कारण जाति से ही अलग कर दिया गया था। मुनरी ने अपनी सहेली कनेली के माध्यम से कूटभाषा में यह रहस्य बताया कि जाति से बहिष्कृत उसका पूर्व प्रेमी इस कला में माहिर है। इस रहस्य को कनेली ने पंचों को बताया। जाति से अलग किये गये को पहले जाति में लेना एक समस्या थी लेकिन टोले की प्रतिष्ठा का प्रश्न होने के कारण पंचलाइट जलाने के लिए गोधन को अविलम्ब बुलाया गया।
वह आया और उसने पंचलाइट जालकर मुहल्ले की नाक रख ली। इससे सभी पंच लोग अति प्रसन्न हुए और उन्होंने गोधन के सातों खून माफ कर दिए। उसकी सभी गल्तियाँ समाप्त कर दीं तथा उसे सलीमा (सिनेमा) का गाना गाने की आज्ञा प्रदान की गयी ।
पंचलैट जली, कीर्तन हुआ तथा सभी ने गोधन की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की । गुलरी काकी ने भी गोधन को उस रात भोजन पर निमन्त्रित किया। इससे गोधन एवं मुनरी की गुप्त प्रीति पर भी जैसे समाज की मुहर लग गयी ।
इस प्रकार यह कहानी अपनी आंचलिकता हेतु प्रसिद्ध है। जहाँ पंचलाइट भी अति महत्त्वपूर्ण है जो आंचलिकता की छाप से रोचक बन पड़ी है।
आंचलिक कहानी से आप क्या समझते हैं? 'पंचलाइट' कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- आंचलिक कहानी में किसी विशेष अंचल, क्षेत्र अथवा उसके किसी एक भाग का चित्रण किया जाता है। इसमें स्थानीय दृश्यों, प्रकृति, जलवायु, त्योहार, लोकगीत, बातचीत के विशिष्ट ढंग, मुहावरे, लोकोक्तियाँ, भाषा व उच्चारण की विकृतियाँ, लोगों की स्वभावगत या व्यवहारगत विशेषताओं, नैतिक मान्यताओं आदि का समावेश बड़ी कुशलता, सतर्कता और सावधानी से किया जाता है।
गुण उसमें इस दृष्टि से ‘पंचलाइट’ कहानी एक सफल आंचलिक कहानी है। आंचलिकता के प्रायः सभी है। विद्यमान हैं; यथा—
(1) इस कहानी में बिहार प्रदेश के ग्राम्यांचल और उसके वातावरण का चित्रण हुआ
(2) इस कहानी में बिहार के ग्रामीण अंचल की सामाजिक परिस्थितियों पर आधारित इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि वहाँ के लोग किस प्रकार जाति के आधार पर टोलियों में बँट जाते हैं। उनमें परस्पर ईर्ष्या-भाव और द्वेष-भाव भरा हुआ है और वे रूढ़िवादिता से ग्रस्त हैं।
(3) इसमें बिहार के ग्रामीण अंचल की नैतिक मान्यताओं और जनता की मनोवृत्तियों का चित्रण भी हुआ है। एक टोली के पेट्रोमैक्स (पंचलाइट) को दूसरी टोली का व्यक्ति नहीं जला सकता; क्योंकि इससे टोली का अनादर होता है।
(4) इस कहानी में स्थानीय भाषा में बातचीत के विशिष्ट ढंग ने उसे आंचलिक बना दिया है; जैसे- “सरदार ने अपनी स्त्री से कहा—साँझ को पूजा होगी; जल्दी से नहा-धोकर चौका-पीढ़ा लगाओ।”
‘कितने में लालटेन खरीद हुआ महतो?”
(5) कहानीकार ने ग्रामीण अंचल के रीति-रिवाजों, अन्धविश्वासों और रूढ़ियों का भी विशिष्ट चित्रण किया है। ‘पंचलाइट’ आने पर उसका पूजन, कीर्तन, प्रसाद वितरण इसी अन्धविश्वास का परिचायक है। इस प्रकार ‘पंचलाइट’ कहानी में आंचलिकता पर आधारित प्रायः सभी विशेषताएँ प्रतिबिम्बित हुई हैं।
'पंचलाइट' कहानी का उद्देश्य लिखिए।
उत्तर- ‘पंचलाइट’ कहानी में श्री फणीश्वरनाथ रेणु बदलते ग्रामीण समाज की एक झाँकी प्रस्तुत करना चाहते हैं। भारत का ग्रामीण समाज आज तक भी टोलों और कबीलों में बँटा है। किस प्रकार ग्रामीण समाज विकास में आगे नहीं बढ़ पा रहा तथा अति महत्त्वहीन रूढ़ियों और परम्पराओं में उलझा हुआ है, इस तथ्य को उजागर करना भी रेणु जी का उद्देश्य है । लेखक का उद्देश्य गाँव की अशिक्षा, अज्ञानता तथा रूढ़िवादिता को प्रकट करना है।
ग्रामीणों की अपनी समस्याएँ हैं। गाँवों में एकता नहीं टोलों में बँट गये हैं, लोगों में परस्पर ईर्ष्या और द्वेष है, वर्णवाद, जाति-बिरादरीवाद और ऊँच-नीच की भावना ग्रामीणों के रक्त में रम गयी है, अन्धविश्वासों ने गहरी जड़ जमा ली है। ग्रामीण जीवन की इन सब समस्याओं को इस कहानी में उठाया गया है और शिक्षा का प्रचार कर तथा ग्राम-सुधार की भावना को जगाकर इन समस्याओं का समाधान खोजने के लिए पाठकों को प्रेरित करना इस कहानी का मूल उद्देश्य है ।
प्रस्तुत कहानी में लेखक अपने उद्देश्य को मार्मिकता से पाठकों के हृदय पर अंकित कर देता है। इसमें ग्रामीण अंचलों में पहुँचना तथा ग्राम-सुधार की भावनाओं को जगाना इस कहानी का मुख्य उद्देश्य है । इस उद्देश्य की पूर्ति में कहानीकार को पर्याप्त सफलता मिली है।