निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित दिए, गए प्रश्नों के उत्तर हल सहित |
गद्यांश - 1
मैंने बहुतों को रूप से पाते देखा था, बहुतों को धन से और गुणों से भी बहुतों को पाते देखा था, पर मानवता के आँगन में समर्पण और प्राप्ति का यह अद्भुत सौम्य स्वरूप आज अपनी ही आँखों देखा कि कोई अपनी पीड़ा से किसी को पाए और किसी का उत्सर्ग सदा किसी की पीड़ा के लिए ही सुरक्षित रहे।
(क) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर-(क)प्रस्तुत गद्यांश सुप्रसिद्ध पत्रकार एवं लेखक श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा लिखित ‘राबर्ट नर्सिंग होम में’ नामक रिपोर्ताज से उद्धृत है। यह रिपोर्ताज हमारी हिन्दी की पाठ्यपुस्तक गद्य भाग में संकलित है।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-(ख) आज उन्होंने अद्भुत स्थिति देखी है। उन्होंने इस जगत् में मानवता के लिए स्वयं को अर्पित करके श्रद्धा प्राप्त करने का विचित्र और मनोहारी दृश्य देखा है। समर्पण और प्राप्ति का यह अद्भुत और सुकोमल स्वरूप उन्हें आज ही दिखाई दिया, जब मदर टेरेजा ने अधिक दुःखी व्यक्ति के लिए प्रार्थना करने की बात कही। एक ओर वह पीड़ित रोगी था, जिसने अपनी पीड़ा के कारण मदर टेरेजा की सद्भावना प्राप्त कर ली थी तथा दूसरी ओर मदर टेरेजा थीं, जिनका उत्सर्ग केवल दुःखी व्यक्तियों की पीड़ा को दूर करने के लिए ही सुरक्षित था; अर्थात् यदि एक ओर दुःखी व्यक्ति ने उनकी सद्भावना और उनके प्यार को अपनी पीड़ा के कारण पाया था तो दूसरी ओर मदर टेरेजा ने अपना प्यार अधिक दुःखी व्यक्तियों को ही समर्पित कर दिया था।
(ग) उपर्युक्त गद्यांशानुसार लेखक ने आज अपनी आँखों से क्या देखा?
उत्तर-(ग)उपर्युक्त गद्यांशानुसार लेखक ने आज अपनी आँखों से मानवता के लिए स्वयं को अर्पित करके श्रद्धा प्राप्त करने का विचित्र और मनोहारी दृश्य देखा।
(घ) “कोई अपनी पीड़ा से किसी को पाए” इस वाक्यांश का क्या आशय है?
उत्तर-(घ)“कोई अपनी पीड़ा से किसी को पाए।” इस वाक्यांश का आशय यह है कि एक ओर वह पीड़ित रोगी था, जिसने अपनी पीड़ा के कारण मदर टेरेजा की सद्भावना प्राप्त कर ली थी और दूसरी ओर मदर टेरेजा थीं, जिनका उत्सर्ग केवल दुःखी व्यक्तियों की पीड़ा को दूर करने के लिए ही सुरक्षित था।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में मदर टेरेजा की किस भावना को दर्शाया गया है?
उत्तर-(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में मदर टेरेजा की आत्म-त्याग की भावना को दर्शाया गया है।
गद्यांश - 2
आदमियों को मक्खी बनानेवाला कामरूप का जादू, नहीं मक्खियों को आदमी बनानेवाला जीवन का जादू – होम की सबसे बुढ़िया मदर मार्गरेट। कद इतना नाटा कि उन्हें गुड़िया कहा जा सके, पर उनकी चाल में गजब की चुस्ती, कदम में फुर्ती और व्यवहार में मस्ती; हँसी उनकी यों कि मोतियों की बोरी खुल पड़ी और काम यों कि मशीन मात माने। भारत में चालीस वर्षों से सेवा में रसलीन, जैसे और कुछ उन्हें जीवन में अब जानना भी तो नहीं।
(क) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर-(क) प्रस्तुत गद्यांश सुप्रसिद्ध पत्रकार एवं लेखक श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा लिखित ‘राबर्ट नर्सिंग होम में’ नामक रिपोर्ताज से उद्धृत है। यह रिपोर्ताज हमारी हिन्दी की पाठ्यपुस्तक के गद्य भाग में संकलित है।
(ख)रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-(ख) लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ नर्सिंग होम की सबसे वृद्ध मदर मार्गरेट के जादुई व्यक्तित्व के प्रभाव का वर्णन करते हुए कहते हैं कि हमने किस्से-कहानियों में कामरूप के जादू के विषय में अनेक विस्मयकारी बातें सुनी हैं कि वहाँ के जादूगर अपने जादू से आदमी को मक्खी बना दिया करते थे। इस जादू के विषय में हमने केवल सुना है, अपनी आँखों से उसे देखा कभी नहीं। मगर मैंने मदर मार्गरेट के रूप में एक ऐसी अद्भुत जादूगरनी को देखा है, जो अपने ममतामयी, दयालु और सेवाभावी व्यक्तित्व के जादू से मक्खी को आदमी बना देती हैं। अर्थात् वह मृतप्राय एक दीन-हीन रोगी में जीवन की आशा का संचार करके उसे आदमी बना देती हैं, जिस पर इतनी बड़ी संख्या में मक्खियाँ भिनभिनाती रहती हैं कि वह कोई व्यक्ति न होकर मक्खियों का बड़ा छत्ता हो।
(ग)“नहीं मक्खियों को आदमी बनानेवाला जीवन का जादू।” इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-(ग) “नहीं मक्खियों को आदमी बनानेवाला जीवन का जादू।” इस पंक्ति का आशय यह है कि मदर मार्गरेट एक ऐसी अद्भुत जादूगरनी के समान व्यक्तित्ववाली वृद्ध महिला थीं, जो मक्खी को आदमी बना देती थीं, अर्थात् वे मृतप्राय एक दीन-हीन रोगी में जीवन की आशा का संचार करके उसे आदमी बना देती हैं; ऐसा आदमी, जिस पर इतनी बड़ी संख्या में मक्खियाँ भिनभिनाती रहती हैं कि वह कोई व्यक्ति न होकर मक्खियों का बड़ा छत्ता हो।
(घ) इन पंक्तियों में लेखक ने किसके जादू का वर्णन किया है?
उत्तर-(घ) इन पंक्तियों में लेखक ने मदर मार्गरेट की रोगियों के प्रति उनके द्वारा की जानेवाली महान् सेवा के जादू का वर्णन किया है?
(ङ) मदर मार्गरेट की हँसी और काम के सम्बन्ध में लेखक ने क्या लिखा है?
उत्तर-(ङ) मदर मार्गरेट की हँसी के सम्बन्ध में लेखक ने लिखा है कि उनकी हँसी ऐसी निर्मल और धवल थी, जैसे मोतियों की कोई बोरी खुलकर बिखर गई हो। इसी प्रकार उनके काम में ऐसी निपुणता और सन्तुलन था कि उसमें त्रुटि की कोई गुंजाइश ही नहीं रहती थी। मानो वह व्यक्ति न होकर कोई मशीन हो ।
गद्यांश - 3
यह अनुभव कितना चमत्कारी है कि यहाँ जो जितनी अधिक बूढ़ी है, वह उतनी ही अधिक उत्फुल्ल, मुसकानमयी है। यह किस दीपक की जोत है? जागरूक जीवन की! लक्ष्यदर्शी जीवन की ! सेवा – निरत जीवन की! अपने विश्वासों के साथ एकाग्र जीवन की। भाषा के भेद रहे हैं, रहेंगे भी, पर यह जोत विश्व की सर्वोत्तम जोत है।
(क) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर-(क) प्रस्तुत गद्यांश सुप्रसिद्ध पत्रकार एवं लेखक श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा लिखित ‘राबर्ट नर्सिंग होम में’ नामक रिपोर्ताज से उद्धृत है। यह रिपोर्ताज हमारी हिन्दी की पाठ्यपुस्तक के गद्य भाग में संकलित है।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-(ख) इन नर्सों के अन्दर कोई अलौकिक तेज है, जिससे इनका जीवन सजग बन गया है। ये सब किसी लक्ष्य- केन्द्रित सेवापरायण जीवन के प्रकाश को विकीर्ण करनेवाले प्राणियों का समूह है। इनमें अद्भुत विश्वास भरा हुआ है। इनका जीवन एकाग्र साधना का जीवन है। आज भी ये भयंकर रोग से पीड़ित रोगियों को अपनी मुस्कानभरी सेवा से जीवित रहने का अमर संकल्प देती हैं। यद्यपि यहाँ पर रहनेवाली नर्सों के देश अलग-अलग हैं, भाषाएँ भिन्न-भिन्न हैं, किन्तु इनके मन में जलनेवाली प्यार और सेवा की ज्योति अद्भुत एवं सर्वोत्तम है।
(ग) उपर्युक्त गद्यांश में किस चमत्कारी अनुभव की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर-(ग) उपर्युक्त गद्यांश में लेखक के लिए यह एक चमत्कारी अनुभव था कि राबर्ट नर्सिंग होम में जो नर्स सर्वाधिक वृद्ध थी, वह उतनी ही अधिक क्रियाशील और सेवापरायण थी, वह उतनी ही अधिक प्रसन्न रहती थी और उसके चेहरे पर उतनी ही अधिक मुस्कान खिली रहती थी।
(घ) “यह किस दीपक की जोत है?” इस वाक्य में क्या भाव निहित है?
उत्तर-(घ) “यह किस दीपक की जोत है?” इस वाक्य में यह भाव निहित है कि राबर्ट नर्सिंग होम में रोगियों की सेवा करनेवाली नर्सों अपने कार्य में इतनी अधिक तल्लीन और प्रसन्नचित्त रहती थीं कि उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता था, मानो उनके अन्दर कोई अलौकिक तेज हो, जिससे उनका जीवन इतना अधिक आश्चर्यजनक बन गया है।
(ङ) यहाँ लक्ष्यदर्शी जीवन की जोत से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-(ङ) यहाँ लक्ष्यदर्शी जीवन की जोत का तात्पर्य यह है कि नर्सिंग होम की नर्सों अपने सेवा सम्बन्धी कार्यों को इस प्रकार करती थीं, मानो उनमें कोई ऐसा अलौकिक तेज हो, जिसके फलस्वरूप वे अपनी सेवा सम्बन्धी कर्म-साधना को एकाग्रचित्त करती थीं। उनका सम्पूर्ण ध्यान और प्रयास रोगियों के समुचित उपचार में ही लगा रहता था। उनके जीवन का एकमात्र ध्येय या लक्ष्य भी केवल यही था ।
(च) “ भाषा के भेद रहे हैं, रहेंगे भी, पर यह जोत विश्व की सर्वोत्तम जोत है।” इस वाक्य के भाव को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर-(च) “भाषा के भेद रहे हैं, रहेंगे भी, पर यह जोत विश्व की सर्वोत्तम जोत है।” इस वाक्य में निहित भाव यह है कि राबर्ट नर्सिंग होम में रहनेवाली सेवापरायण नर्सों के देश अलग-अलग हैं, उनकी भाषाएँ भी अलग-अलग हैं, किन्तु उनके मन में प्रज्वलित प्यार और सेवा की ज्योति सारे संसार में अद्भुत और सर्वोत्तम है।
