हम और हमारा आदर्श

निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित दिए, गए प्रश्नों के उत्तर हल सहित |

गद्यांश - 1

मैं खासतौर से युवा छात्रों से ही क्यों मिलता हूँ? इस सवाल का जवाब तलाशते हुए मैं अपने छात्र-जीवन के दिनों के बारे में सोचने लगा । रामेश्वरम् के द्वीप से बाहर निकलकर यह कितनी लम्बी यात्रा रही ! पीछे मुड़कर देखता हूँ तो विश्वास नहीं होता । आखिर वह क्या था जिसके कारण यह सम्भव हो सका? महत्त्वाकांक्षा? कई बातें मेरे दिमाग में आती हैं। मेरा ख्याल है कि सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि मैंने अपने योगदान के मुताबिक ही अपना मूल्य आँका। · बुनियादी बात जो आपको समझनी चाहिए वह यह है कि आप जीवन की अच्छी चीजों को पाने का हक रखते हैं, उनका जो ईश्वर की दी हुई हैं। जब तक हमारे विद्यार्थियों और युवाओं को यह भरोसा नहीं होगा कि वे विकसित भारत के नागरिक बनने के योग्य हैं तब तक वे जिम्मेदार और ज्ञानवान नागरिक भी कैसे बन सकेंगे?
(क) लेखक युवा छात्रों से ही क्यों मिलता है?
उत्तर- (क) विकसित भारत का नागरिक होने का अहसास दिलाने के लिए लेखक युवा छात्रों से ही मिलता है।
(ख) आप किन चीजों के पाने का हक रखते हैं?
उत्तर- (ख) ईश्वर द्वारा प्रदान की गयी प्रत्येक अच्छी चीजों को पाने का आपको हक है।
(ग) उक्त पंक्तियों से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर- (ग) विद्यार्थियों को जिम्मेदार तथा ज्ञानवान नागरिक बनाने का हरसम्भव प्रयास किया जाना चाहिए।
(घ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- (घ) रेखांकित अंश की व्याख्या -जब तब विद्यार्थियों को यह देश का नागरिक होने की योग्यता का भरोसा नहीं होगा तब तक वे उत्तरदायी नागरिक नहीं बन सकते हैं। राष्ट्र की प्रगति के लिए युवाओं को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ना ही होगा।
(ङ) पाठ का शीर्षक और लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- (ङ) उपर्युक्त गद्यांश ‘हम और हमारा आदर्श’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम हैं।

गद्यांश - 2

विकसित देशों की समृद्धि के पीछे कोई रहस्य नहीं छिपा है। ऐतिहासिक तथ्य बस इतना है कि इन राष्ट्रों-जिन्हें मजबूत जी-8 के नाम से पुकारा जाता है, के लोगों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस विश्वास को पुख्ता किया कि देश में उन्हें अच्छा जीवन बिताना है। तब सच्चाई उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप ढल गयी ।
(क) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर – (क) गद्यांश ‘हम और हमारा आदर्श’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक डॉ0 ए0 पी0 जे0 अब्दुल कलाम हैं.
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – (ख) रेखांकित अंश की व्याख्या – तब जो सच्चाई है, सत्यता है, वह उनकी इच्छाओं के अनुसार बदल गई।
(ग) विकसित देशों की समृद्धि के पीछे क्या नहीं छिपा है?
उत्तर- (ग) विकसित देशों की समृद्धि के पीछे कोई रहस्य नहीं छिपा है।
(घ) जी-8 राष्ट्रों के लोगों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी क्या किया है?
उत्तर- (घ) जी-8 राष्ट्रों के लोगों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस विश्वास को पुख्ता किया कि मजबूत एवं समृद्ध देशों में उन्हें उच्चकोटि का श्रेष्ठ जीवन बिताना है।
(ङ) मजबूत एवं समृद्ध देश के लोग कैसा जीवन बिताते हैं?
उत्तर – मजबूत एवं समृद्ध देश परिश्रम करते हैं और वे अपना जीवन अच्छा एवं उच्च स्तर का बिताते हैं।

गद्यांश - 3

मैं यह नहीं मानता कि समृद्धि और अध्यात्म एक-दूसरे के विरोधी हैं या भौतिक वस्तुओं की इच्छा रखना कोई गलत सोच है। उदाहरण के तौर पर, मैं खुद न्यूनतम वस्तुओं का भोग करते हुए जीवन बिता रहा हूँ लेकिन मैं सर्वत्र समृद्धि की कद्र करता हूँ, क्योंकि समृद्धि अपने साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है जो अन्ततः हमारी आजादी को बनाये रखने में सहायक हैं। आप अपने आस-पास देखेंगे तो पायेंगे कि खुद प्रकृति भी कोई काम आधे-अधूरे मन से नहीं करती। किसी बगीचे में जाइए। मौसम में आपको फूलों की बहार देखने को मिलेगी अथवा ऊपर की तरफ ही देखें, यह ब्रह्माण्ड आपको अनन्त तक फैला दिखाई देगा, आपके यकीन से भी परे ।
(क) समृद्धि और अध्यात्म के सम्बन्ध में लेखक क्या नहीं मानता?
उत्तर- (क) लेखक समृद्धि और अध्यात्म को एक-दूसरे का विरोधी नहीं मानता है।
(ख) भौतिक समृद्धि अपने साथ क्या लाती है?
उत्तर-(ख) भौतिक समृद्धि अपने साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है।
(ग) भौतिक समृद्धि के महत्त्व के विषय में लेखक की क्या मान्यता है?
उत्तर- (ग) भौतिक समृद्धि के महत्त्व के विषय में लेखक कहता है कि मैं सर्वत्र समृद्धि की कद्र करता हूँ क्योंकि समृद्धि अपने साथ सुरक्षा तथा विश्वास लाती है जो अन्ततः हमारी आजादी को बनाये रखने में सहायक हैं।
(घ) ‘न्यूनतम’ और ‘अनन्त’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर- (घ) ‘न्यूनतम’ का अर्थ है – कम से कम, तथा ‘अनन्त’ का अर्थ है – जिसका कोई अन्त न हो ।
(च) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- (च) रेखांकित अंश की व्याख्या – प्रकृति कोई कार्य आधे-अधूरे मन से नहीं करती है, मौसम के अनुसार बगीचे में फूल खिलते हैं और मन को आनन्दित करते हैं।
(छ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- (छ) प्रस्तुत गद्यांश ‘हम और हमारा आदर्श’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक डॉ० ए०पी० जे० अब्दुल कलाम हैं ।

गद्यांश - 4

जो कुछ भी हम इस संसार में देखते हैं वह ऊर्जा का ही स्वरूप है। जैसा कि महर्षि अरविन्द ने कहा है कि हम भी ऊर्जा के ही अंश हैं। इसलिए जब हमने यह जान लिया है कि आत्मा और पदार्थ दोनों ही अस्तित्व का हिस्सा हैं, वे एक-दूसरे से पूरा तादात्म्य रखे हुए हैं तो हमें यह एहसास भी होगा कि भौतिक पदार्थों की इच्छा रखना किसी भी दृष्टिकोण से शर्मनाक या गैर-आध्यात्मिक बात नहीं है।
(क) महर्षि अरविन्द ने क्या कहा है?
उत्तर- (क) महर्षि अरविन्द ने कहा है कि हम भी ऊर्जा का ही अंश हैं।
(ख) हम इस संसार में जो कुछ देखते हैं वह क्या है?
उत्तर-(ख) हम इस संसार में जो कुछ देखते हैं वह ऊर्जा का ही स्वरूप है।
(ग) ‘अस्तित्व’ और ‘तादात्म्य’ शब्दों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-(ग) ‘अस्तित्व’ शब्द का अर्थ है-विद्यमान होना, तथा ‘तादात्म्य’ शब्द का अर्थ है – तल्लीन होना ।
(घ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर-(घ) रेखांकित अंश की व्याख्या- किसी भी व्यक्ति को भौतिक पदार्थों की इच्छा रखना किसी भी प्रकार से अनुचित नहीं है और न ही यह कोई शर्म या गैर आध्यात्मिक बात है।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का शीर्षक और लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर-(ङ) प्रस्तुत गद्यांश ‘हम और हमारा आदर्श’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक डॉ० ए०पी० जे० अब्दुल कलाम हैं।

गद्यांश - 5

न्यूनतम गुजारा करने और जीवन बिताने में भी निश्चित रूप से कोई हर्ज नहीं है। महात्मा गाँधी ने ऐसा ही जीवन जिया था, लेकिन जैसा कि उनके साथ था, आपके मामले में भी यह आपकी पसंद पर निर्भर करता है। आपकी ऐसी जीवन-शैली इसलिए है क्योंकि इससे वे तमाम जरूरतें पूरी होती हैं जो आपके भीतर की गहराइयों से उपजी होती हैं। लेकिन त्याग की प्रतिमूर्ति बनना और जोर-जबरदस्ती से चुनना, सहने का गुणगान करना, अलग बातें हैं। हमारी युवा शक्ति से सम्पर्क कायम करने के मेरे फैसले का आधार भी यही रहा है।
(क) दिये गये गद्यांश के शीर्षक एवं लेखक का नामोल्लेख कीजिए ।
उत्तर- (क) उपर्युक्त गद्यांश ‘हम और हमारा आदर्श’ पाठ से लिया गया है जिसके लेखक डॉ० ए०पी० जे० अब्दुल कलाम हैं।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या -कलाम जी कहते हैं कि यदि हम अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखें तो न्यूनतम में जीवनयापन करने में कोई हर्ज नहीं है। आवश्यकताओं को असीमित करने पर हमें स्वयं ही कष्ट होगा । आवश्यकताओं की अधिकता न केवल मनुष्य को वरन् राष्ट्र को भी नुकसान पहुँचाती है।
(ग) मनुष्य को सदैव किस प्रकार की जीवन-शैली अपनानी चाहिए?
उत्तर-(ग) कलाम जी कहते हैं कि मनुष्य को सदैव अपने भीतर से उपजी इच्छाओं के अनुरूप जीवन-शैली को अपनाना चाहिए।
(घ) लेखक महात्मा गाँधी के जीवन का उदाहरण देकर क्या स्पष्ट करना चाहता है?
उत्तर-(घ) लेखक कहना चाहता है कि गाँधी जी ने न्यूनतम में गुजारा करके अपना जीवनयापन किया क्योंकि उस समय ऐसा ही था और स्वयं गाँधी जी की इच्छा भी स्वयं ऐसा ही जीवन जीने की थी ।
उत्तर-(ङ) प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेखक क्या सन्देश देना चाहता है?
(ङ) इस गद्यांश के माध्यम से लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि भौतिक पदार्थों की इच्छा रखना किसी भी दृष्टि से शर्मनाक एवं अनुचित नहीं है।